Thursday 3 August 2017

परिवार की अहमियत..IMPORTANCE OF FAMILY IN HINDI



परिवार प्रथम है…..
अपनी जिंदगी में परिवार की अहमियत क्या होती है इसका जवाब परिवार का कोई भी सदस्य दे सकता है। परिवार का साथ, परिवार का प्यार आपकी जिंदगी में कितना मायने रखता है, वो सिर्फ आपको पता है क्योंकि आपका भी एक छोटा-सा परिवार होगा और आप भी एक Family member होंगे। परिवार और प्यार का नाता बहुत पुराना है, हम इतिहास के पन्ने भी पलटें तो समझ जायेंगे कि व्यक्ति के जीतने या सफल होने का रहस्य उसके परिवार के सपोर्ट और परिवार के प्यार से जुड़ा है। कहने का मतलब ऐसा कतई नहीं कि सफलता किसी सिफारिश  की देन है, आपकी सफलता तो अपने परिवार के प्यार और दुआओं का नतीजा है। कहीं न कहीं हमारी सफलता और असफलता के बीच हमारे अलावा कोई जूझ रहा होता है, वह है अपना परिवार।

रात को घर से बाहर होते हैं तो माँ को बिना पूछे नींद नहीं आती कि ‘बेटा तुमने खाना खा लिया न?’, और पापा तो ट्रेन में बैठे ही नहीं कि पूछना शुरू हो जाते हैं कि ‘बेटा ट्रेन में सीट मिला है न?’ लेकिन भारत में बिना रिजर्वेसन सीट मिलना अपना लकी ऑफर जीतने के बराबर होता है पर “हाँ पापा अच्छे से बैठ गया, और माँ खाना भी खा लिया” बोलना दोनों के दिल को बहुत आराम देता है भले ही एक पैर में खड़े होकर ट्रेन में सफर कर रहे हों या फिर गैस खतम होने पर भूखे सोये हों। परिवार की दुरी का एहसास कम करने के लिए सुकर है मोबाइल साथ है। मन तो यही चाहता है कि हर दिन Family Time हो लेकिन सन्डे को तो हप्ते में एक बार आना है। सुकर है आज सात दिन मुश्किल से  काटने के बाद घर के आँगन में धुप सेंकना कितना अच्छा लगता है। माँ तो घर आते ही खाने के पीछे पड़ जाती है ‘अब आओ जल्दी खा लो कितने पतले हो जा रहे हो।‘ हाँ माँ, दादाजी को दुकान में थोडा हाथ बटा दूँ। दादाजी इस बार कमाई बहुत ज्यादा हो रही है, हाँ बेटा सब भगवान की कृपा है, इतने बड़े और संयुक्त परिवार पर उन्ही की कृपा है। ठीक है दादाजी हम खाना खाकर आपसे सुबह मिलते हैं..

खाना खाकर बिस्तर पर जाना और पापा से बात करना ये एक आदत कभी नही बदली। क्या बात है पापा आप कुछ परेशान लग रहे हैं? नहीं बेटा ऐसा कोई बात नहीं है, पर सोचता हूँ कि पापा बनना कितना सुखद होता है, कल ही तो तुम्हें अपने गोद में खिलाता था और आज तुम मेरे जितने बड़े हो गए लेकिन मेरे लिए अभी भी बच्चे ही हो। हाँ पापा कुछ बात है जो आप छिपा रहे हैं? बेटा तुम्हारी पढाई के लिए मैंने तुम्हारे शर्मा अंकल से कर्ज लिए हैं ये तो तुम्हे पता ही होगा… हाँ पापा, वो कुछ बोल रहे थे क्या?   बेटा मैं तुम्हारा पापा हूँ, और तुम्हारे दादाजी मेरे पिता हैं, यदि मैं तुम्हें अपने से अलग समझूँ तो तुम्हें कैसा लगेगा? ये आप क्या कह रहे हैं पापा? बेटा मैं भी किसी का लाडला हूँ और अपनी जिम्मेदारी पुरी ईमानदारी से निभा रहा हूँ। कल तुम्हारे शर्मा अंकल हमारे दुकान आये थे उन्होंने कुछ सामान खरीदा और तुम्हारे दादाजी से कहा कि आपके बड़े बेटे के पास मेरा कर्ज है कृपया आप इन पैसों को उसमे से काट लें। और आगे की घटना जब तुम्हारे शर्मा अंकल ने मुझे बताई तो मेरे दिल को बहुत ठेस पहुची । क्या हुआ पापा? बेटा तुम्हारे दादाजी और मेरे पिताजी ने ऐसा कहने पर शर्मा अंकल से कहा कि जिसने पैसे कर्ज लिए हैं आप उनका पैसा मुझसे मत कटवाइए। कर्ज लेने वाला ही समझे।…

बेटा, मैं तुमसे पूछता हूँ यदि तुम परेशान होते, समस्याओं से घिरे होते तो, मैं जो तुम्हारा पापा हूँ  जो कल तक तुम्हारे साथ था, अपना रिश्ता ऐसे कमजोर कर देता., पीठ दिखा देता। ये बहुत गलत है न बेटा। एक पिता का कर्तव्य है कि वो अपने परिवार को संयुक्त रखे लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि संयुक्त रखना ही परिवार की नीव बनेगी। सुख-दुःख भी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण भाग है और दुःख का साथी बनना परिवार की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए। यदि हर परिवार अपने बच्चों के साथ सुख-दुःख दोनों का  साथी बने तो उस परिवार का रिश्ता बहुत अटूट होता है।

आज तुम मेरे बेटे हो, लेकिन कल तुम्हारा अपना बच्चा होगा और परिवार होगा लेकिन सिर्फ साथ में खाना खाने या खाना पकाने में परिवार का रुतबा ऊँचा नही होता, तुम्हें समझना होगा कि परिवार प्यार के रिश्ते से बंधा होता है और इसका रिश्ता तभी मजबूत होगा जब तुम अपने बेटे के हर अच्छे बुरे वक्त में उसके साथ रहोगे  और ये बात जल्दी ही तुम्हारे दादाजी को भी समझ आ जायेगी..

परिवार को मजबूत बनाने और सुखी रखने का यही गुरुमंत्र है, हर अच्छे और बुरे परिस्थिति में अपने परिवार को समझे और सबको अपने सुख-दुःख का सहभागी बनायें…….

दोस्तों सुख-दुःख अस्थाई होते हैं , और यदि आपको खुशियों को बढाना है तो परिवार में खुशियाँ बाँटना होगा और यदि दुखों को कम करना है तो परिवार को समझना होगा। रिश्ते तभी मजबूत बनेंगे जब आप रिश्तों को समझेंगे और आप तब समझेंगे जब अपना समय, परिवार को दोस्ताना माहौल बनाने में देंगे, तब ऐसी कोई बात नहीं रहेगी जो आपके परिवार और आपके बीच छिप सकती हो।

Image source: Google Image
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