Wednesday 26 July 2017

अब्राहम लिंकन का पत्र..... A letter by Abraham Lincoln



अब्राहम लिंकन का पत्र
letter
तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, जिन्हें गुलामों का मुक्तिदाता भी कहा जाता है, जिन्होंने देश  को विभाजित होने से बचाया, गरीब परिवार में जन्में थे. लिंकन प्रारंभ से ही मेहनती, सरल स्वभाव के और बुद्धिमान थे. आजीविका चलाने और पढ़ाई के लिए उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

उन्होंने कभी भी किसी काम को छोटा नहीं समझा. कहा जाता है कि अमेरिका में कई महान नेता पैदा हुए किन्तु दासों और कमजोर वर्गों के प्रति पिता समान व्यव्हार करने वाले लिंकन जैसा कोई नेता पैदा नहीं हुआ.
राष्ट्रपति लिंकन ने यह पत्र अपने पुत्र के शिक्षक को लिखा था. यह पत्र एक ऐतिहासिक दस्तावेज है.
प्रिय गुरूजी,

मैं अपने पुत्र को शिक्षा के लिए आपके हाथों सौंप रहा हूँ. आपसे मेरी अपेक्षा यह है कि इसे ऐसी शिक्षा दें जिससे यह सच्चा इंसान बन सके.

सभी व्यक्ति न्यायप्रिय नहीं होते, और न ही सब सच बोलते हैं. यह तो मेरा बच्चा कभी-न-कभी सीख ही लेगा. पर उसे यह अवश्य ही सिखाएं कि अगर दुनिया में बदमाश लोग होते हैं तो अच्छे नेक इंसान भी होते हैं. अगर स्वार्थी राजनीतिज्ञ हैं तो जनता के हित में काम करने वाले देशप्रेमी भी हैं. उसे यह सिखाएं कि अगर दुश्मन होते हैं तो दोस्त भी होते हैं. मुझे पता है कि इसमें समय लगेगा. परन्तु हो सके तो उसे जरूर यह सिखाएं कि मेहनत से कमाया एक पैसा भी, हराम से मिली नोटों की गड्डी से कहीं अधिक मूल्यवान होता है.
उसे हारना सिखाएं और जीत में खुश होना भी सिखाएं, हो सके तो उसे राग-द्वेष से दूर रखें और उसे अपनी मुसीबतों को हंसकर टालना सिखाएं. वह जल्दी से जल्दी यह सब सीखे कि बदमाशों को आसानी से काबू में किया जा सकता है.
अगर संभव हो तो उसे किताबों की मनमोहक दुनिया में अवश्य ले जाएँ, साथ-साथ उसे प्रकृति की सुंदरता, नीले आसमान से उड़ते आजाद पक्षी, सुनहरी धुप में गुनगुनाती मधुमख्खियाँ और पहाड़ के ढलानों पर खिलखिलाते जंगली फूलों की हँसी को भी निहारने दें. स्कूल में उसे सिखाएं की नक़ल करके पास होने से फैल होना बेहतर है.
चाहे सभी लोग उसे गलत कहें, परन्तु वह अपने विचारों में पक्का विश्वास रखे और उन पर अडिग रहे. वह भले ही लोगों के साथ नेक व्यव्हार करे और बदमाशों को करारा सबक सिखाए.
जब सब लोग भेड़ों की तरह एक ही रास्ते पर चल रहे हों, तो उसमें भीड़ से अलग होकर अपना रास्ता बनाने की हिम्मत हो.
उसे सिखाएं कि वह हरेक बात को धैर्यपूर्वक सुनें फिर उसे सत्य की कसौटी पर कसे. और केवल अच्छाई को ही ग्रहण करे.
अगर हो सके तो उसे दुःख में भी हँसने की सीख दें, उसे समझाएं कि अगर रोना भी पड़े, तो उसमें कोई शर्म की बात नहीं है. वह आलोचकों को नजरअंदाज करे और चाटुकारों से सावधान रहे. वह अपनी शरीर के ताकत के बूते पर भरपूर कमाई करे, परन्तु अपनी आत्मा और ईमान को कभी न बेचे. उसमें शक्ति हो कि चिल्लाती भीड़ के सामने भी खड़ा होकर, अपने सत्य के लिए जूझता रहे. आप उसे ऐसी सीख दें कि मानव जाति पर उसकी असीम श्रद्धा बनी रहे.
मैंने अपने पत्र में बहुत कुछ लिखा है. देखें इसमें से क्या करना संभव है…..
आपका शुभेच्छु
अब्राहम लिंकन.
Source: https://www.hamarisafalta.com

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