Monday 31 July 2017

कांच तराशने वाली लड़की ने खड़ी की चालीस हज़ार करोड़ की कम्पनी....Millionaire from scratch.


कांच तराशने वाली लड़की ने खड़ी की चालीस हज़ार करोड़ की कम्पनी

Inspiring Rags to Riches Story in Hindi

Zhou Qunfei Rags to Riches Story in Hindi
Zhou Qunfei Founder Lens Technology
कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जिन पर हमको तब तक यकीन नहीं होता जब तक  हम उन्हें  हकीकत में न देख लें। और आज हम आपके साथ एक ऐसी ही बेहद inspiring rags to riches story Hindi में शेयर कर रहे है जिसे अगर कोई बताता तो शायद आप यकीन नहीं करते लेकिन आज वो एक reality है।
ये कहानी है Zhou Qunfei / झोऊ क़ुएन्फ़ेइ की। एक ऐसी लड़की जिसका जन्म चाइना के एक छोटे से गाँव में हुआ, जिसने बचपन से ही गरीबी देखी, जिसकी माँ उसे 5 वर्ष की छोटी अवस्था में दुनिया छोड़ कर चली गयी और जिसके पिता उसके जन्म से पहले ही अंधे हो गए हों… एक ऐसी लड़की जो कभी सिर्फ रोज का 1 डॉलर कमाती हो….आज वही लड़की दुनिया की सबसे अमीर self made women entrepreneur है, आज वही लड़की चाइना की सबसे अमीर महिला है और आज वही लड़की 6 billion dollar यानि चालीस हज़ार करोड़ रुपये की मालकिन है।

आजकल सभी स्मार्टफोन कम्पनियाँ मोबाइल फ़ोन की स्क्रीन पर स्क्रीन गॉर्ड का इस्तेमाल करती हैं। ये स्क्रीन गार्ड मोबाइल फ़ोन की स्क्रीन को स्क्रैच से बचाता है। इस ग्लास का आविष्कार Zhou की कम्पनी ने ही किया है। जिसके लिए उन्हें “Queen of Mobile Phone Glass” कहा जाता है। Zhou चीन की सबसे अमीर महिला हैं और ये मुकाम उन्होंने अकेले दम पर ही हासिल किया है।
लेकिन ये मुकाम इन्हे इतनी आसानी से नहीं मिला। इसके लिए इन्होने रात दिन कड़ी मेहनत की है और काफी मुश्किलों और विपरीत परिस्थितियों का सामना किया है।
आइये जानते है उनके इस मुश्किल भरे सफर की दास्ताँ-

प्रारम्भिक जीवन

जोऊ कुनफई का जन्म 1970 में चीन के हुनान राज्य के एक छोटे से गाँव में हुआ था। इनके जन्म से पहले ही एक दुर्घटना में इनके पिता की आँखों की रौशनी चली गयी। जब वो महज 5 वर्ष की थीं तभी उनकी माँ की मृत्यु हो गयी। अब वो एक बिन माँ तथा अंधे पिता की ऐसी बच्ची थी जो दुनिया की भीड़ में बिल्कुल अकेली थी। इनका बचपन बहुत अभावों में बीता। माँ का प्यार, हँसता खेलता बचपन , खेलना-कूदना बहुत छोटी सी उम्र में ही इनसे छिन गया। लेकिन उनके पिता ने उन्हें हौसला दिया और खुद छोटा-मोटा काम करके उन्हें पढ़ाया। झोऊ भी बचपन से ही परिवार को चलाने के लिए सूअर और बत्तखें पालने में मदद करती थीं।
झोऊ बताती हैं-
जिस गाँव में मैं पली-बढ़ी वहां लड़कियों के लिए अधिक पढने की choice नहीं थी। उनकी engagement या शादी हो जाती और फिर पूरी लाइफ वे उसी गाँव में बिता देतीं। लेकिन मैं कुछ और करने की ठानी, और मुझे उसका पछतावा नहीं है।

नौकरी की शुरुआत

किसी तरह Zhou ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की। लेकिन 16 वर्ष उम्र में उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। पेट भरने तथा अपने अंधे पिता का सहारा बनने लिए उन्होंने नौकरी करने का निर्णय लिया। लेकिन गाँव में कोई रोज़गार नहीं होने के कारण उन्हें गाँव छोड़ना पड़ा और नौकरी करने दक्षिणी शहर शेनज़ेन चली गयीं। शेनज़ेन में उन्हें एक घड़ियों के ग्लास बनाने वाली कंपनी में ग्लास तराशने का काम मिल गया। नौकरी के साथ साथ वे शेनज़ेन यूनिवर्सिटी से पार्ट टाइम कोर्स भी करती रहीं।
Zhou कहती हैं-
वहां काम करने की conditions बहुत बुरी थीं। मुझे सुबह 8 बजे से रात को 12 बजे तक काम करना पड़ता था और कभी-कभी 2 बजे तक भी…
यहाँ तीन महीने काम करने के बाद उन्होंने ने अपने resignation letter लिख कर factory chief को दिया।
उन्होंने अपने इस्तीफे में नौकरी छोड़ने के कारण को इतनी रचनात्मकता के साथ लिखा कि उसे पढ़कर मैनेजमेंट को लगा कि इस लड़की में कुछ खास बात है। और उन्होंने Zhou का इस्तीफ़ा नामंज़ूर करते हुए उन्हें नए विभाग में प्रोन्नत कर दिया। इसके बाद तीन साल तक वो वहीँ काम करती रहीं और बहुत कुछ सीखा।

अपनी कम्पनी की शुरुआत :

1993 में जब झोऊ बाईस साल की थीं तब उन्होंने अपनी खुद की कम्पनी स्टार्ट करने की सोची। उन्होंने थोड़ा-थोड़ा करके लगभग $3000 जमा कर लिए थे। इन पैसों और अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर उन्होंने watch lenses बनाने का काम शुरू कर दिया।

नयी कम्पनी में झोऊ छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम करने के लिए तैयार रहती थीं। वे खराब मशीनों को बनाने जैसे कठिन काम भी कर लेती थीं और आज जब उनकी कंपनी हज़ारों करोड़ की हो गयी है तो भी वो छोटे-छोटे काम करने से संकोच नहीं करतीं।
झोऊ अपने काम के प्रति दीवानी हैं, यही वजह है कि उनके ऑफिस और घर के बीच में बस एक दरवाजे का अंतर है। वे किसी भी समय, दिन हो या रात फैक्ट्री का काम देखने चली आती हैं और काम करने वाले कर्मचारियों को मोटिवेट करती हैं।

परिवार:

झोऊ ने दो शादियाँ कीं, पहली अपनी पुरानी फैक्ट्री के बॉस से, इस शादी से उन्हें एक बच्चा हुआ और बाद में तलाक़ हो गया। दूसरी शादी एक पुरानी दोस्त से जो फैक्ट्री में उनके साथ काम करता था, इस शादी से भी उन्हें एक बच्चा है और उनके पति Lens board member हैं।

कैसे बनीं अरबपति ?

झोऊ मोबाइल फोंस की वजह से अरबपति बनीं। 2003 में भी वे सिर्फ घड़ियों के लिए कांच बनाती थीं। एक दिन उन्हें Motorola के किसी executive से कॉल आई, “ क्या आप हमारे नए मोबाइल Razr V3 के लिए ग्लास स्क्रीन बनाने में मदद करेंगी?”
उस समय तक ज्यादातर mobile screen प्लास्टिक की बनी होती थीं। मोटोरोला एक ग्लास स्क्रीन चाहती थी जिसपे scratches कम पड़ें और इमेजेज भी सही दिखें।
झोऊ बताती हैं-
मेरे पास ये कॉल आई और कहा गया, ‘ आप हमें हाँ या ना में जवाब दीजिये अगर आप हाँ कहेंगी तो हम ये पूरा प्रोसेस सेटअप करने में मदद करेंगे।’, मैंने हाँ कर दी।
इस नए काम को करने के लिए झोऊ ने 2003 में एक नयी कम्पनी बनायी जिसका नाम रखा गया LENS Technology .
उनकी कम्पनी as per expectation ग्लास के ऊपर scratch-resistant coating बनाने में कामयाब हो गयी और इसका पेटेंट करा लिया। इसके बाद HTC, Nokia, और Samsung जैसी कम्पनियां भी उन्हें आर्डर देने लगीं। इसके बाद 2007 में Apple ने market में iPhone उतारा, जिसमे keyboard-enabled glass touch screen थी, इस डिवाइस ने पूरा खेल ही बदल दिया और सौभग्य से Apple ने झोऊ की कम्पनी Lens Technology को अपना supplier चुन लिया।
इसके बाद झोऊ ने अपनी निजी प्रॉपर्टी गिरवी रख के पैसे उठाये और डिमांड पूरी करने के लिए नयी-नयी फैक्ट्रियों का निर्माण किया। आज इस क्षेत्र में बहुत अधिक competition है और 100 से अधिक कम्पनियां ये काम कर रही हैं मगर फिर भी झोऊ की लीडरशिप में उनकी कम्पनी ने अपनी dominance बनायीं हुई है।
स्मार्टफोन के Screen Scratch Protected Glass (स्क्रैचरोधी ग्लास) बनाने के साथ साथ उनकी कंपनी लैपटॉप तथा कैमरों के लिए भी Touch panel, Cover Glass, Touch Panel Covers बनाती है।
झोऊ ने अकेले दम पर जो मुकाम हासिल किया उसके लिए उन्हें “Queen of Mobile Phone Glass” कहा जाने लगा।
आज Lens में 75000 से अधिक workers हैं और Changsa region की तीन manufacturing facilities में दिन-रात काम चलता रहता है। रोज बड़ी बारीकी और precision के साथ अमेरिका और जापान से import किये गए ग्लास को काटा, पोलिश किए और chemically teat किया जाता है।
झोऊ इस प्रक्रिया के हर एक स्टेप को बड़ी ही डिटेल में खुद design और choreograph करती हैं।झोऊ हर चीज को डिटेल में डिफाइन और डिजाईन करने की आदत अपने बचपन को देती हैं। वे कहती हैं-
मेरे पिता की दृष्टि चली गयी थी, इसलिए अगर हम कोई चीज कहीं रखते थे तो वो बिलकुल सही जगह होनी चाहिए थी ताकि कोई गड़बड़ ना हो, और यही attention मैं काम करने की जगह पर चाहती हूँ।
अपनी कम्पनी शुरू करने के बाईस साल बाद मार्च 2015 में Lens Technology ने अपना IPO launch किया और एक दस बिलियन डॉलर की कम्पनी बन गयी।
इतनी सफलता पाने के बावजूद झोऊ एक down to earth person हैं। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा –
मैं एक high-profile person बनने के लिए qualify नहीं करती, मुझे लगता है ये ज़रूरी है कि सफलता मिलने पर आप carried away न हो जाएं और बुरे वक़्त में आप बिलकुल निराश हो जाएं।
दोस्तों, इतनी विपरीत परिस्थितियों और मुश्किलों का सामना करते हुए अपनी मेहनत से चीन की सबसे अमीर महिला बनकर Zhou ने साबित कर दिखाया है कि अगर इंसान चाहे तो कितनी भी मुश्किल और विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी ज़िन्दगी में वो सबकुछ हासिल कर सकता है जिसके बारे में वो सोच सकता है। झोऊ की ये inspirational rags to riches story दुनिया भर के लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपनी लाइफ में successful होना चाहते हैं।
मेहनत करिए, आगे बढिए, जोखिम उठाइए और अपने सपनो को साकार करिए!
Thanks!
PushpendraPushpendra Kumar Singh
Greater Noida
Email:er.pushpendra1@gmail.com
Blog: www.gyanversha.com
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Mr. Pushpendra is working as an Asst. Manager (Mechanical Design). He enjoys reading motivational books and blogs and is passionate about his blog Gyan Versha.

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