Wednesday 1 July 2015

एक सिर के बदले 100 सिर कैसे लाये जाते हैं ये मोदी से बेहतर कोई नहीं जानता ....


आओ देखो 56 इंच का सीना.... एक सिर के बदले 100 सिर कैसे लाये जाते हैं ये मोदी से बेहतर कोई नहीं जानता ..........
4 जून को आतंकियों ने हमला किया और 18 सैनिकों को शहीद किया... फिर वे म्यांमार में घुस के छिप गए.....9 जून को सेना ने उनको ट्रेस किया ढूंढा और हमला कर दिया।
सरकार आधिकारिक रूप से कह रही है की हम म्यांमार सीमा पर कार्यवाही कर रहे हैं...जबकी हकीकत में सेना...म्यांमार सेना के साथ म्यांमार में 3 ~4 किलोमीटर अंदर तक घुस कर आतंकियों को मार रही है।
5 जून से सरकार ने सेना को खुली छुट दी जवाबी कार्यवाही की और कहा की आप बताओ आपको क्या कब कैसे करना है? सेना ने बताया की आतंकी म्यांमार में घुस गए हैं...
तब मोदीजी ने सीधे म्यांमार संपर्क किया और 56 इंच के सीने ने म्यांमार की सरकार को भरोसे में लिया 5 जून को....उनको समझाया पूरा प्लान, और म्यांमार सरकार ने पूर्ण सहयोग की हामी भर दी....क्योंकी म्यांमार सरकार जानती है की मोदीजी शब्दों के नहीं कर्म-पुरषार्थ के व्यक्ति हैं....
ध्यान देने वाली बात है की मोदी सरकार ने अभी तक इस हमले की "कड़ी से कड़ी निंदा" "कड़े से कड़े शब्दों" में नहीं करी है।
सेना ने भी अपनी ताकत दिखा दी और आप देखना अगले कुछ दिनों में इस ऑपरेशन की विशालता व्यापकता..और तो और विश्व शान्ति के एक भी ठेकेदार देश ने भारत इस कार्यवाही पर ऊँगली उठाने की गुस्ताखी नहीं करी है...पूरा विश्व मोदी सरकार पर भरोसा कर रहा है।

पूरी दुनिया को समझ आ चूका हैं की अब हिंदुस्तान में कड़े शब्दों में निदा करने बाली सरकार नही हैं आपको याद हो तो... किस तरह UPA की सरकार के समय देश पर आतंकवादी हमले हुए तारीखों पर जाएं तो 11 जुलाई 2006 में मुंबई लोकल ट्रेन में सात सीरियल ब्लास्ट (174 मौतें), 25 जुलाई 2008 में बेंगलूर में सात सीरियल ब्लास्ट (2 मौतें), 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में 21 सीरियल ब्लास्ट (58 मौतें), 13 जुलाई 2011 में मुंबई में तीन बम धमाकों में 31 मौतें ( यह बस कुछ ही हमले बताये हैं ) ...आये दिन सीमा पर होने बाले हमले... देश के जवानो का सर काटना.. लेकिन हमारी पूर्ववती सरकारों ने "कड़ी से कड़ी निंदा" "कड़े से कड़े शब्दों" में करने के अलावा कुछ नही किया ज्यादा होता तो यह कह दिया जाता की हम इस तरह का हमला अगली बार सहन नहीं करेंगे … मनमोहन सरकार ने किया भी तो,.. कसाब को कबाब खिलाया.. अफजल गुरु की हिफाजत की.... और तो और एक पाकिस्तान जैसा टुच्चा देश भी हिंदुस्तान को आँख दिखा जाता इस देश के प्रधानमत्री को देहाती औरत कह जाता.... अब आप खुद तुलना कीजिये मोदी सरकार की और सरकारों से जो अब तक भारत में रही हैं...
और सबसे बड़ी बात सरकार इस पूरी कार्यवाही का श्रेय भी खुद नहीं ले रही बल्कि सेना को पूरा श्रेय दे रही है....और आप सबने ग़ौर किया क्या देश के इतिहास में शायद पहली बार किसी महिला सैन्य अधिकारी मेजर रूचि शर्मा ने किसी मिल्ट्री ऑपरेशन के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित किया और वो भी मातृ भाषा हिंदी में.... यह हैं महिला सशक्तिकरण...क्या अब भी भरोसा नहीं कर सकते हम मोदी सरकार पर ??

उछल उछल के मोदी का छप्पन इंच का सीना नापने वालो, कम से कम सेना को ही बधाई दे दो सालो....
अंत में व्यथित मन से एक बात और कहना चाहूँगी की जब...18 जवानों ने इस देश के लिए अपनी कुर्बानी दे दी तो.... कुछ लोग अपनी राजनीति करने लगे... मुसलमानों की पोस्ट्स में जोर इस बात पर था कि हिन्दू आतंकवादी (?) होने के कारण मीडिया ने इसे कवरेज नहीं दिया वरना कश्मीर में कुछ होता तो हल्ला मच जाता... मोदी विरोधी इस बात पर शोर कर रहे थे कि देखो देखो छप्पन इंच के सीने के रहते क्या हो गया... तो कुछ देशद्रोहियो ने यहाँ तक कहा की सैनिकों को तो मरने की ही सैलरी मिलती है.. सच में मेरे देश के लोग महान हैं जो जवानो की शाहदत पर भी राजनीति कर लेते हैं....बस कुछ राष्ट्रवादी रहे होंगे जिनकी आत्मा सैनिकों के लिए रोई।
जय जय मेरे हिन्द की सेना..
भारत माता की जय, वन्दे मातरम्..

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