Saturday 11 April 2015

महाभारत के युद्ध में कौरवों और पांडवों द्वारा रचित व्यूह रचनाएँ.... - by Aditi Gupta


१. वज्र व्यूह .. महाभारत युद्ध के प्रथम दिन अर्जुन ने अपनी सेना को इस व्यूह के आकार में सजाया था... इसका आकार देखने में इन्द्रदेव के वज्र जैसा होता था अतः इस प्रकार के व्यूह को "वज्र व्यूह" कहते हैं!

२. चक्रशकट व्यूह ... अभिमन्यु की हत्या के पश्चात जब अर्जुन, जयद्रथ के प्राण लेने को उद्धत हुए, तब गुरु द्रोणाचार्य ने जयद्रथ की रक्षा के लिए युद्ध के चौदहवें दिन इस व्यूह की रचना की थी!

३. मंडल व्यूह ... भीष्म पितामह ने युद्ध के सांतवे दिन कौरव सेना को इसी मंडल व्यूह द्वारा सजाया था... इसका गठन परिपत्र रूप में होता था... ये बेहद कठिन व्यूहों में से एक था... पर फिर भी पांडवों ने इसे वज्र व्यूह द्वारा भेद दिया था... इसके प्रत्युत्तर में भीष्म ने "औरमी व्यूह" की रचना की थी... इसका तात्पर्य होता है समुद्र... ये समुद्र की लहरों के समान प्रतीत होता था... फिर इसके प्रत्युत्तर में अर्जुन ने "श्रीन्गातका व्यूह" की रचना की थी... ये व्यूह एक भवन के समान दिखता था...

४. क्रौंच व्यूह ... क्रौंच एक पक्षी होता है... जिसे आधुनिक भाषा में Demoiselle Crane कहते हैं... ये सारस की एक प्रजाति है...इस व्यूह का आकार इसी पक्षी की तरह होता है... युद्ध के दूसरे दिन युधिष्ठिर ने पांचाल पुत्र को इसी क्रौंच व्यूह से पांडव सेना सजाने का सुझाव दिया था... राजा द्रुपद इस पक्षी के सर की तरफ थे, तथा कुन्तीभोज इसकी आँखों के स्थान पर थे... आर्य सात्यकि की सेना इसकी गर्दन के स्थान पर थे... भीम तथा पांचाल पुत्र इसके पंखो (Wings) के स्थान पर थे... द्रोपदी के पांचो पुत्र तथा आर्य सात्यकि इसके पंखो की सुरक्षा में तैनात थे...इस तरह से हम देख सकते है की, ये व्यूह बहुत ताकतवर एवं असरदार था... पितामह भीष्म ने स्वयं इस व्यूह से अपनी कौरव सेना सजाई थी... भूरिश्रवा तथा शल्य इसके पंखो की सुरक्षा कर रहे थे... सोमदत्त, अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा इस पक्षी के विभिन्न अंगों का दायित्व संभाल रहे थे...

५. प्रसिद्ध चक्रव्यूह ... इसके बारे में सभी ने सुना है... इसकी रचना गुरु द्रोणाचार्य ने युद्ध के तेरहवें दिन की थी... दुर्योधन इस चक्रव्यूह के बिलकुल मध्य (Centre) में था... बाकि सात महारथी इस व्यूह की विभिन्न परतों (layers) में थे... इस व्यूह के द्वार पर जयद्रथ था... सिर्फ अभिमन्यु ही इस व्यूह को भेदने में सफल हो पाया... पर वो अंतिम द्वार को पार नहीं कर सका... तथा बाद में ७ महारथियों द्वारा उसकी हत्या कर दी गयी...इसके व्यूह के बारे में ज्यादा चर्चा की आवश्यकता नहीं है... इस व्यूह का संपूर्ण विवरण आपको हर कही मिल जाएगा...

६. अर्धचन्द्र व्यूह ... इसकी रचना अर्जुन ने कौरवों के गरुड़ व्यूह के प्रत्युत्तर में की थी... पांचाल पुत्र ने इस व्यूह को बनाने में अर्जुन की सहायता की थी ... इसके दाहिने तरफ भीम थे... इसकी उर्ध्व दिशा में द्रुपद तथा विराट नरेश की सेनाएं थी... उनके ठीक आगे पांचाल पुत्र, नील, धृष्टकेतु, और शिखंडी थे... युधिष्ठिर इसके मध्य में थे... सात्यकि, द्रौपदी के पांच पुत्र, अभिमन्यु, घटोत्कच, कोकय बंधु इस व्यूह के बायीं ओर थे... तथा इसके अग्र भाग पर अर्जुन स्वयं सच्चिदानंद स्वरुप भगवन श्रीकृष्ण के साथ थे!

— with Deepak Tayade.

No comments:

Post a Comment